काले धन के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था को पिछले एक दशक में 123 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है. अकेले वर्ष 2010 में 1.6 अरब डॉलर की अवैध राशि देश से बाहर गई है.
यह खुलासा वाशिंगटन स्थित शोध संगठन 'ग्लोबल फाइनेंशियल इंटेग्रिटी' (जीएफआई) की रिपोर्ट से हुआ है. रिपोर्ट में भारत को आठवां सबसे बड़ा ऐसा देश बताया गया है, जहां से सबसे अधिक अवैध पूंजी बाहर गई है. इस मामले में भारत का स्थान चीन, मेक्सिको, मलेशिया, सऊदी अरब, रूस, फिलीपीन्स तथा नाइजीरिया के बाद आता है. 'इलिसिट फाइनेंशियल फ्लोज फ्रॉम डेवलपिंग कंट्रीज: 2001-2010' में कहा गया है कि वर्ष 2010 में विकासशील तथा उभरती अर्थव्यवस्थाओं से 858.8 अरब डॉलर की अवैध राशि बाहर गई, जबकि वर्ष 2008 में जब दुनिया वित्तीय संकट के दौर से गुजर रही थी, यह राशि 871.3 अरब डॉलर थी.
जीएफआई के निदेशक रेमंड बेकर ने कहा, 'हाल के वर्षों में हालांकि प्रगति हुई है, लेकिन भारत को काले धन की वजह से बड़ी राशि का नुकसान हुआ है.' रिपोर्ट के सह लेखक और अर्थशास्त्री डेव कर ने कहा, 'भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए 123 अरब डॉलर का नुकसान एक बड़ा नुकसान है. यह राशि शिक्षा, स्वास्थ्य तथा देश के बुनियादी ढांचे को उन्नत बनाने के लिए इस्तेमाल में लाई जा सकती थी.'
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि विकासशील देशों को काले धन के कारण वर्ष 2001 से 2010 के बीच 58.60 खरब डॉलर का नुकसान हुआ.
भारतीय अर्थव्यवस्था को झटका देने में कालाधन का अहम योगदान है। राजनेताओं और सरकार को चिंतित करने के लिए ये खबर काफी है। भारत से केवल 2010 में 1.6 बिलियन डालर पैसा बाहर गया। एक दशक की बात करें तो 123 बिलियन डालर पैसा कालेधन के रूप में देश से निकल गया।
एक दशक में सबसे ज्यादा कालाधन बाहर जाने वाले देशों की सूची में भारत का स्थान आठवां है। वाशिंगटन स्थिति ग्लोबल फाइनेंस इंटिग्रिटी के एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन, मैक्सिको, मलेशिया, सउदी अरब, रूस, फिलीपिन्स और नाईजीरिया के बाद सबसे ज्यादा पैसों का प्रवाह हमारे ही देश में है।
विकासशील देशों का अवैध वित्तीय प्रवाह 2001-2010 शीर्षक नाम से प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक सभी अविकसित और विकासशील देशों द्वारा कालाधन प्रवाह की बात करें तो करीब ़858.8 बिलियन डालर केवल 2010 में बाहर चला गया ।
2008 में ग्लोबल मंदी के दौरान 871.3 बिलियन डालर कालाधन बना जिससे ये 2010 का साल महज थोड़ा ही कम है।
जीएफआई के डाइरेक्टर रेमंड बेकर के मुताबिक एक तरफ जहां भारत का विकास हो रहा हैं वहीं दूसरी तरह इस सालों में भारत ने कालाधन के रूप में लगातार अपनी संपदा खोया है।
कालाधन वापस लाने का मुद्दा मीडिया में अत्यधिक छाया रहा। लेकिन चर्चा उन बातों पर हो रही थी जो कि पैसा चला गया है। अब कानून बनाने वालों का ध्यान इस पर होना चाहिए कि अब पैसा बाहर नहीं जा पाए। इस रिपोर्ट के सह लेखक और जीएफआई के मुख्य आर्थिक विशेषज्ञ देव कर कहते हैं ़123 बिलियन डालर का नुकसान भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भारी नुकसान है. यह भारत के विकास के लिए पर्याप्त धन था। इससे शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे के विकास में अहम योगदान हो सकता था।
जीएफआई के नवंबर के 2010 के अंक में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक 1948 से 2008 बीच ़462 बिलियन डालर का नुकसान भारत को उठाना पड़ा है। जीएफआई ने विश्व के नेताओं से अंतरराष्ट्रीय फाइनेंसियल व्यवस्था को पारदर्शी बनाने की मांग की है ताकि अवैध धन के प्रवाह को रोका जा सके।
भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने कहा कि स्विस बैंकों में जमा काला धन कांग्रेसियों का है, इसीलिए सरकार उनके नामों का खुलासा नहीं कर रही है।
उन्होंने कहा कि जब भाजपा सत्ता में आएगी, उन 800 लोगों के नाम जनता के सामने लाएगी, जिसे यूपीए सरकार छिपाए हुए है। यहां शनिवार को भाजपा के जेल भरो आंदोलन कार्यक्रम के दौरान सभा को संबोधित करते हुए यशवंत ने भ्रष्टाचार, काला धन और महंगाई को लेकर यूपीए सरकार पर जमकर प्रहार किए। इस मौके पर यशवंत के अलावा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेशानंद गोस्वामी, यूपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रमापति त्रिपाठी समेत सैकड़ों पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने जयपाल सिंह स्टेडियम से राजभवन तक पैदल मार्च कर गिरफ्तारी दी।
भाजपा नेता ने कहा कि वित्तमंत्री के पास 800 लोगों के नाम हैं, जिनका काला धन स्विस बैंकों में जमा है। भारत सरकार उनके नामों का खुलासा नहीं कर रही है। काले धन पर श्वेत पत्र के नाम देश को धोखा दिया जा रहा है। यशवंत ने यूपीए-2 सरकार को अब तक की सबसे भ्रष्ट सरकार बताया। उन्होंने कहा कि आठ साल से इस देश में यूपीए का शासन है, लेकिन इतनी भ्रष्ट सरकार इस देश में कभी नहीं बनी।
टूजी घोटाले के बारे में सोनिया गांधी व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह दोनों को 2009 से पता था कि चिदंबरम व राजा ने घोटाला किया है, फिर भी उन्हें मंत्री बनाया गया। उन्होंने महंगाई को लेकर कहा कि रुपये का अवमूल्यन हो रहा है, हमारे देश की अर्थव्यवस्था इतनी चौपट कभी नहीं थी। उन्होंने यशवंत ने यूपीए सरकार को उल्टी-पुल्टी सरकार की संज्ञा दी।
उत्तरप्रदेश के पूर्व भाजपा अध्यक्ष रमापति त्रिपाठी ने कहा, आज चारों तरह हाहाकार है, महंगाई इतनी बढ़ गई कि आम आदमी का चूल्हा नहीं जल रहा है, लोग भूख से मर रहे हैं। जब केंद्र में हमारी सरकार थी तब महंगाई रुकी थी, घटी थी। प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेशानंद गोस्वामी ने भी महंगाई, भ्रष्टाचार व काले धन को लेकर यूपीए सरकार पर प्रहार किए। गोस्वामी ने कहा कि केंद्र की सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए कार्यकर्ता तैयार रहें।