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संसद,केन्द्र
सरकार का विधाय अंग हे. संसदीय प्रणाली,जिसे सरकार का वेस्टमिस्तर माडल भी
कहते हे,अपनाने के कारण भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था मे संसद एक विशिष्ट व
केन्द्रीय स्थान रखती है .
संविधान
के पाचवे भाग के अंतर्गत अनुच्छेद ७९ से १२२ मे संसद के गठन
,संरचना,अधिकारियो,प्रक्रिया,विशेषाधिकार,व श्क्ति आदि के बारे मे वर्णन
किया गया है.
संसद का गठन-
संविधान
के अनुसार भारत की संसद के तीन अंग है- राष्ट्रपति,लोकसभा व राज्यसभा .
१९५४ मे राज्य परिषद एव जनता का सदन के स्थान पर क्रमश; राज्यसभा एव लोकसभा
शब्द अपनाया गया। राज्यसभा ,उच्च सदम कहलाता है जबकि लोकसभा निचला सदन
कहलाता है। राज्यसभा मे राज्य व संघ राज्य शेट्रो के प्रतिनिधि होते है,
जबकि लोकसभा सम्पूर्ण रूप मे भारत के लोगो का प्रतिनिधितव करती है।
हालाकी
राष्ट्रपति संसद के किसी भी सदन का सदस्य नहीं होता है और न ही वह संसद मे
बैठता है। लेकिन राष्ट्रपति ,संसद का अभिन्न अंग है। एसा इसलिये है क्योकी
संसद के दोनो सदनो द्वारा पारित कोई विधेयक तब तक विधि नहीं बंटा ,जब तक
राष्ट्रपति उसे अपनी अधिकृति न देता। राष्ट्रपति,संसद के कुछ चुनिंदा कार्य
भी करता है।उदाहरण स्वरूप -राष्ट्रपति दोनो सदनो का सत्र आहूत करता है।
याफिर सत्रावसान करता है। वह लोकसभा को विघटित कर सकता है। जब संसद का सत्र
न चल रहा हो, वह अध्यादेश जारी कर सकता है आदि।
इस
मामले मे भारतीय संविधान ,अमेरिका के स्थान पर ब्रिटेन की पद्धति पर
आधारित है। ब्रिटेन की संसद ताज (राजा या रानी) ,हॉउस ऑफ लॉर्ड व हॉउस ऑफ
कॉमन्स से मिलकर बनती है। इसके विपरीत,अमेरिका राष्ट्रपति विधानमंडल का
महतवपूर्ण अंग नहीं है। अमेरिका विधानमंडल के कॉंग्रेस के नाम से जाना जाता
है। कॉंग्रेस के अंतर्गत सीनेट ,हॉउस ऑफ रीप्रेसेन्टिव होते है।
सरकार
की संसदीय पद्धति मे विधाय व कार्यकारी अंगो मे परस्पर निर्भरता पर जोर
दिया जाता है। अंत; हमारे संसद मे राष्ट्रपति ,ब्रिटेन की संसद मे ताज की
तरह है। वह दूसरी तरह, राष्ट्रपति पद्धति वाली सरकार मे विधाय और कार्यकारी
अंगो को अलग करने पर जोर दिया जाता है। इसीलिये अमेरिका
राष्ट्रपति,कॉंग्रेस का घटक नहीं माना जाता है।
दोनो सदनो की संरचना-
राजसभा की संरचना:
राज्यसभा
की अधिकतम सांख्या २०५ निर्धारित है। इनमे मे २३८ सदस्य राज्यो व संघ
राज्यो शेत्र के प्रतिनिधि (अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित) होंगे, जबकि १२
सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोमित किये जायेंगे।
वर्तमान
मे राज्यसभा मे २४५ सदस्य है।इनमे २२९ सदस्य राज्यो का प्रतिनिधितव करते
है,४ संघ राज्य शेत्र का प्रतिनिधितव करते है और १२ सदस्य राष्ट्रपति
द्वारा मनोमित है।
संविधान की चौथी अनुसूची मे राज्यसभा के लिये राज्यो व संघ ष्ट्र मे सीटो के आवंटन का वर्णन किया है।
१) राज्यो का प्रतिनिधितव:
राज्यसभा मे राज्यो के प्रतिनिधि का निर्वाचन राज्य विधानसभा के निर्वाचित
सदस्य करते है। चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधितव पद्धति के अनुसार एकल
संक्रमणीय मत द्वारा होता है। राज्यसभा के लिये राज्यो की सीटो का बंटवारा
उनकी जनसंख्या के आधार पर किया जाता है। इसलिये राज्यो के प्रतिनिधीयो की
सांख्या अलग-अलग राज्यो मे अलग होती है। उदाहरण स्वरूप- उत्तर प्रदेश से ३१
सदस्य है जबकि त्रिपुरा से १ सदस्य है। अमेरिका मे "सीनेट" मे राज्यो का
प्रतिनिधितव बराबर होता है (जनसंख्या के आधार पर नहीं). हालांकि अमेरिका
मे,जनसंख्या के स्थान पर सभी राज्यो को सीनेट मे समान प्रतिनिधित्व दिया
गया है। अमेरिकी सीनेट मे कुल १०० सीटे है तथा प्रटेक राज्य को २ सीटे
प्राप्त है।
२) संघ राज्य शेत्र का प्रतिनिधित्व:
राज्यसभा मे संघ राज्यशेत्र का प्रटेक प्रतिनिधि इस कार्य के लिये निर्मित
एक निर्वाचक मंडल स्वारा चुना जाता है। यह चुनाव भी आनुपातिक
प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होता है। ७ संघ
राज्य शेत्र मे से सिर्फ २ (दिल्ली व पद्डुचेरी) के प्रतिनिधि राज्यसभा मे
है। अन्य पांच संघ शासित प्रदेशो की जनसख्या तुलनात्मक रूप से काफी काम
होने के कारण राज्यसभा मे उन्हे अलग प्रतिनिधित्व प्राप्त नहीं है।
३) नामित या नाम निर्देशित सदस्य:
राष्ट्रपति,राज्यसभा मे १२ एसे सद्स्यो को नामित या नाम निर्देशित करता
है। जिन्हे कला ,साहित्य,विज्ञान और समाजसेवा ,विषयो के सम्बंध मे विशेष
ज्ञान या व्यवहारिक अनुभव हो। एसे व्यक्तियो को नामांकित करने के पीछे
उद्देश् है की, नामी या प्रसिध व्यक्ति बिना चुनाव के राज्यसभा मे जा सके।
यहा यह ध्यान देने वाली बात है की अमेरिकी सीनेट मे कोई नामित सदस्य नहीं
होता है।
लोकसभा की संरचना:
लोकसभा की अधिकतम सांख्या ५५२ निर्धारित की गयी है। इनमे से ५३० राज्यो के
प्रतिनिधि ,२० संघ राज्य शेत्र के प्रतिनिधि होते है। एगलो-इंडियन समुदाय
के दो सद्स्यो को राष्ट्रपति नामित या नाम निर्देशित करता है।
वर्तमान मे लोकसभा मे ५४५ सदस्य है। इनमे से ५३० सदस्य राज्यो से, १३
सदस्य संघ राज्य शेत्र से और दो सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नामित या नाम
निर्देशित एंग्लो-इंडियन से है।
१) राज्यो का प्रतिनिधित्व:
लोकसभा मे राज्यो के
प्रतिनिधि राज्यो के विभिन्न निर्वाचन ष्ट्र के लोगो द्वारा प्रत्यक्ष रूप
से निर्वाचित होते है। भारत के हर नागरिक को जिसकी उम्र १८ वर्ष से अधिक है
और जिसे संविधान या विधि के उपबंधो के मुताबिक अयोग्य नहीं ठहराया गया हो,
मत देने का अधिकार है। ६१वे संविधान संशोधन अधिनियम , १९८८ द्वारा मत देने
की आयु सीमा को २१ वर्ष से घटकर १८ वर्ष कर दिया।
२) संघ राज्यशेत्र का प्रतिनिधित्व:
संविधान से संसद के संघ राज्यष्त्र के प्रतिनिधीयो को चुनने की विधि के
निर्धारण का अधिकार दिया है। इसी के तहत संसद ने संघ राज्य शेत्र अधिनियम
१९६५ बनाया, जिसके तहत संघ राज्य शेत्र से प्रत्यक्ष निर्वाचन के तहत
लोकसभा के सदस्य चुने जाते है।
३) नामित या नाम निर्देशित सदस्य:
अगर एंग्लो-इंडियन समुदाय का लोकसभा मे पर्याप्त प्रतिनिधित्व न हो, तो
राष्ट्रपति इस समुदाय के दो लोगो को नामित या उनका नाम निर्देशित कर सकता
है। शुरुवात मे या उपबंध १९६० तक के लिये थी लेकिन ७९वे संविधान संशोधन
अधिनियम १९९९ मे इस उपबंध को २०१० तक के लिये बढ़ा दिया गया।
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