Sunday, 28 July 2013

संसद...Parliament भाग ३

संसद...Parliament -  

भाग ३

Part 1 - Part 2 - Part 3 -Part 4 -

दोनो सदनो की अवधि :
                

राज्यसभा की अवधि -

                   राज्यसभा (पहली बार १९५२ मे स्थापित) निरंतर चलने वाली संस्था है। यानी, यह एक स्थायी संस्था है और इसका विघटन नहीं होता किन्तु इसके एक-तिहा सदस्य हर दूसरे वर्ष सेवानिवृत होते है। ये सीटे चुनाव के द्वारा फिर भरी जाती है और राष्ट्रपति द्वारा har तीसरे वर्ष के शुरुवात मे मनोचयन होता है। सेवा निवृत होने वेल सदस्य कितनी बार भी चुनाव लड़ सकते है और नामित हो सकते है।
                    संविधान ने राज्यसभा के सद्स्यो के लिए पदावधि निर्धारित नहीं की थी, इसे संसद पर छोड़ दिया गया था। इसी के तहत जन प्रतिनिधित्व अधिनियम (१९५१) के आधार पर संसद ने कहा की, राज्यसभा के सद्स्यो की पदावधि छह साल की होनी चाहिए। इस अधिनियम ने भारत के राष्ट्रपति को पहली राज्यसभा मे चुने गए सद्स्यो की पदावधि काम करने का अधिकार दिया। पहले बैच मे यह तय हुआ की लॉटरी के आधार पर सद्स्यो को सेवानिवृत किया जाए। इसके अलावा ,इस अधिनियम द्वारा राष्ट्रपति को राज्यसभा के सद्स्यो की सेवानिवृत्ति के आदेश को शासित करने वाले उपबंध बनाने का अधिकार भी दिया गया।

लोकसभा की अवधि -

                  राज्यसभा से अलग, लोकसभा जारी रहने वाली संस्था नहीं है। सामान्य तौर पर इसकी अवधि आम चुनाव के बाद हुई पहली बैठक से पांच वर्ष के लिए होती है, इसके बाद यह खुद विघटित हो जाती है। हालांकि राष्ट्रपति को पांच स्सल से पेहले किसी भी समय विघटित करने का अधिकार है। इसके खिलाफ न्यायालय मे चुनोती नहीं दी जा सकती।
                   इसके अलावा लोकसभा की अवधि आपात की स्थिति मे एक बार मे एक वर्ष तक बढ़ाई जा सकती है। लेकिन इसका विस्तार किसी भी दशा मे आपातकाल खत्म होने बाद छह महीने की अवधि से अधिक नहीं हो सकता।


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